आज मैं आपना ब्लॉग श्री हरीवंश रॉय बच्चन जी की इन पंक्तियों के द्वारा शुरू कर रहा हूँ
वृक्ष हो भले खड़े,हो घने, हो बड़े,एक पत्र छाँह भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ ।
तू न थकेगा कभी,तू न थमेगा कभी,तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ ।
यह महान दृश्य है,चल रहा मनुष्य है,अश्रु, स्वेद, रक्त से,
लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ ।
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