मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

आगाज़

आज मैं आपना ब्लॉग श्री हरीवंश रॉय बच्चन जी की इन पंक्तियों के द्वारा शुरू कर रहा हूँ

वृक्ष हो भले खड़े,हो घने, हो बड़े,एक पत्र छाँह भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ

तू थकेगा कभी,तू थमेगा कभी,तू मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ

यह महान दृश्य है,चल रहा मनुष्य है,अश्रु, स्वेद, रक्त से,

लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ

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